साँसों की तितलियाँ
Tuesday, March 31, 2015
सहर
जी भर कर लो
लम्बी
गहरी
साँसें
रात भर,
पी लो
शहर का
सारा ज़हर,
रात को
एक बार फिर,
ऐ दरख्तो,
सहर करो..
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