मत जगाओ उसे अभी, सोने दो,
गया है माँ के घर बादलों पार नींद की दोपहर खाना खाने ,
रूह है अभी उसकी पीछे अधूरे खेल में , सुबह की ढली धूप लौटेगा ज़रूर खेलने|
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