प्रवासी मज़दूरों के पके चेहरों को कोई हिक़ारत की नज़रों से भी छूता न था, आज गली के लड़कों ने जबरन होली का रंग लगाया तो पहले बुरा फिर बहुत अच्छा लगा।
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