दूर अन्तरिक्ष में जाने कहाँ तक पहुँच चुकी होगी उनकी रूह पता नहीं, कौन झाँके गहरे स्पेस के कूएँ में,
फूलों की मिट्टी में है किशोर की देह, फ़िज़ाओं में आवाज़!
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