चन्न,
तूँ ताँ
ऐत्थे ही सी
ओदों वी,
तूँ ताँ
ज़रूर
होवेगा वेखेया,
ओ मुख,
की सी
भाव
ओहना दे चेहरे ते
जदों सी उचारया
“जो तुद भावे साई भली कार"!
की
ओस तों पहलां वी सी तूँ
ऐना ही शीतल!
सूरज,
वेखेया होवेगा ज़रूर
तूँ वी
तुर्देयाँ
तिन्ना नूँ
तपदी ज़मीन ते
हर दिशा,
की ओस तों बाद वी
हैं तूँ
आपणे बलदे वजूद तों
ओना ही
विचलित!
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