अति सूक्ष्म तीखे पल के लिए होता हूँ मैं वर्तमान में, होने से पहले बीत जाता हूँ,
सारे का सारा हूँ तैयार होने को, या सारा हो चुका हूँ मैं!
ख़ुद से ही हूँ निकल रहा भीतर ही समाता हूँ मैं,
समझ का धोखा है वक़्त न आता न जाता हूँ मैं!
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