Saturday, November 14, 2015

सौभाग्य

कुछ नहीं हुआ
अमावस्या की उस रात
शमशान में,

रोज़ रोज़
कहाँ मिलता था सौभाग्य
रूहों को
बैठना
कवि सम्मेलन में!

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