Thursday, December 24, 2015

मैरी क्रिसमस

बिजली से नहीं
धूप से चमकते हैं
मेरे क्रिसमस ट्री!

रात में नहीं
अलबत्ता
दिन दहाड़े
भरी दोपहरी!

हैं भले आज
छोटे,
पर एक नहीं
हैं हज़ारों
बनने की राह में,

हो जायेंगे तैयार
बैसाख़ तक
खेतों में मेरे
सुनहरी बल्ब लिए!

उस दमकती आस
और ईश्वर के दिलासे के सदके
मैरी क्रिसमस!

No comments:

Post a Comment