साँसों की तितलियाँ
Friday, December 25, 2015
बिगड़ी
वक़्त तो दे
बिगड़ी
बनाने की,
बहुत मुमकिन
असल में बिगड़ी न हो,
फ़रमाइश ही
पूरी करवाने की!
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment