साँसों की तितलियाँ
Tuesday, December 29, 2015
असल
तेरी अय्यारी का
ऐ बन्दे
किस कदर
क़ायल हूँ मैं
कहलवाता है
ख़ुद को
इंसां
और असल क्या है!
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment