साँसों की तितलियाँ
Sunday, December 20, 2015
बस्तियाँ
आपकी
मेहरबानी से उजड़ी
बस्तियाँ
कचोटती हैं मुझे,
पूछती हैं
हरदम सवाल
और
जवाब भी
नहीं सुनती!
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