मरदानेया! अज्ज तुसी गावओ उस्तत् मिट्ठे कण्ठ, बुझावओ खू दी प्यास, मेरी रसना है नासाज़,
उतार लेहावो फेर आकाश ज़मीन खोलो आपणी रूह, वजावो साज़!
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