Saturday, December 26, 2015

साज़

मरदानेया!
अज्ज तुसी गावओ उस्तत् मिट्ठे कण्ठ,
बुझावओ खू दी प्यास, मेरी रसना है नासाज़,

उतार लेहावो फेर आकाश ज़मीन
खोलो आपणी रूह, वजावो साज़!

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