Wednesday, December 30, 2015

आज़ाद

ले
मूँदता हूँ आँखें
करता हूँ पीठ,
निगरानी की थकान से
ख़ुद को
करता हूँ
आज़ाद,

जाँच लूँगा
तेरा ज़मीर
जब
परख के लिए
मिलूँगा।

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