ले मूँदता हूँ आँखें करता हूँ पीठ, निगरानी की थकान से ख़ुद को करता हूँ आज़ाद,
जाँच लूँगा तेरा ज़मीर जब परख के लिए मिलूँगा।
No comments:
Post a Comment