Thursday, February 12, 2015

मालिक

होता
अपनी मर्ज़ी का मालिक
तो
मुस्तक़बिल
चुनकर
पहनता,

इन्सां के
बुत ने
वही पहना
जो दूकानदार नें
शोकेस में पहनाया।

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