साँसों की तितलियाँ
Wednesday, February 4, 2015
याद
कोई
हाथ पकड़कर
लिखवाये
तो
कैसे न लिखें,
मगर
याद भी तो रहे
ख़्वाबों में
काग़ज़ कलम
लेकर उतरना।
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