पड़ गई है गर धुंधली मुमताज़ की याद तो भी ताजमहल को यूँ अधूरा न छोड़िये,
हज़ारों मुमताज़ों ने इस दौरान तोड़ दिया है दम थे जब यहाँ मसरूफ़ बरसों से उनके कारीगर शाह जहान।
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