Sunday, February 15, 2015

हवा

हज़ारों गीत
सैंकड़ों खबरें
दर्जनों आवाज़ें
कई पैग़ाम
हैं
इस समय
लटके
घुले
मंडराते
मेरे ऊपर
आसपास
हवा में
मगर,
इस वक़्त
नहीं हूँ
उपलब्ध,
हूँ
आपनी माँद में,
बिन ध्यान के
ध्यान में,
शून्य से भी
मुक्त।

No comments:

Post a Comment