हज़ारों गीत सैंकड़ों खबरें दर्जनों आवाज़ें कई पैग़ाम हैं इस समय लटके घुले मंडराते मेरे ऊपर आसपास हवा में मगर, इस वक़्त नहीं हूँ उपलब्ध, हूँ आपनी माँद में, बिन ध्यान के ध्यान में, शून्य से भी मुक्त।
No comments:
Post a Comment