Friday, May 22, 2015

फिर क्यों

ज़िन्दगी
जानता हूँ
तू बहुत दूर निकल जायेगी,

पीठ पर बाँध मुझे
कहाँ से कहाँ
पहुँच जाएगी,

फिर आज से
मोह है या डर मुझे,
क्यों छूटना भी चाहता हूँ
और नहीं भी!

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