Sunday, May 24, 2015

फन

इंसान
ज़िंदा तो तू है
बेशक़
हज़ार दसियों
बरस से,

तेरे दीमाग़ का फन
उठ रहा है
कैसे
मगर अब,
तेरी सोच की पूँछ पर पड़ा है
जब से
सूचना क्राँति का
पैर!

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