Monday, May 4, 2015

प्रसाद

घटनाओं के ताप में
वक्त के चूल्हे पर
मजबूरी के चिमटे में
नियती के हाथ नें
तुम्हें
पका ही दिया...

बिना नमक के भी
अब नमकीन हो,
स्वादिष्ट हो,
पौष्टिक हो,
ईश्वर का
प्रसाद हो!

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