हर भेड़ के तन पर ऊन नहीं होती,
नहीं होती पीछे छोटी सी पूँछ।
न होते हैं सर पर घुमावदार छोटे छोटे सींग,
बस फ़ितरत आँख मुंदे इंसानों सी,
भीड़ के भेड़ियों की खाल में मासूमों सी!
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