अनजान तस्वीर में
जिसे
मन्दिर समझ
करता रहा
बरसों
मूक प्रार्थनायें,
घबराया जानकर
एक दिन
कि मंदिर न था,
हूँ
मगर
अचम्भित
कि कैसे होती रहीं
फिर भी
मन्नतें पूरी़?
जिसे
मन्दिर समझ
करता रहा
बरसों
मूक प्रार्थनायें,
घबराया जानकर
एक दिन
कि मंदिर न था,
हूँ
मगर
अचम्भित
कि कैसे होती रहीं
फिर भी
मन्नतें पूरी़?
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