पत्थर हटाया तो काग़ज़ उड़ा,
ध्यान हटाया तो संयम गिरा,
उड़ने दे काग़ज़ों को, अपना वज़न तलाशने दे,
थकने दे भटकनों को, घर की याद आने दे!
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