भिगो मौन के पानी में मिट्टी की देह का दीया एक पहर,
पोंछ सुखा निश्चय के कमरबन्द से,
बाट श्रद्धा के हाथों से आत्मा की बाती,
डाल समर्पण का घी जला नाम की लौ कर अहम् की अमावस्या में मुक्ति का उजाला,
कर दीवाली जीवन सारा।
No comments:
Post a Comment