Tuesday, November 10, 2015

ख़्याल

क्यों न
मनाई जाए
किश्तों में
दीवाली,
कहो
ख़्याल कैसा है!

एक दिन
के
जश्न ए शाहकार
के ऐवज़
साल भर
के अश्कों
से इनकार,
मेरे यार
कैसा है!

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