साँसों की तितलियाँ
Friday, July 28, 2017
पैग़ाम
आपके
पैग़ाम का
इंतज़ार
मुझे
दर असल
नहीं है,
मेरी
अलविदा को
रूह
ख़ुदा जाने
यूँ ही
नहीं है!
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment