जब भी खींचा है मुझे हैरान तीर की तरह मजबूरी की कमान पर हालात की प्रत्यंचा नें,
लगा हूँ सपनों से परे निशाने पर रह कुछ देर बेक़ाबू रफ़्तार पर अनिश्चितता की पवन में!
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