कुछ सूखे कुछ रिसते पिम्पल्स की तरह लगे पृथ्वी के शुष्क चेहरे पर वो सारे ज्वालामुखी जो दिखे स्तब्ध अंतरिक्ष यात्रियों की नम आँखों को, उस ऊँची घूमती स्थिर यान की कक्षा से,
कितनी सुंदर लगी अपनी जड़ ज़िन्दगी उस आईने में उन्हें!
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