आज रात फिर उस ट्रैफ़िक हवलदार को घर पहुँच भूख प्यास नहीं थी,
दिन भर फाँक कर जो आया था सेर सवा सेर धूल मिट्टी, पी फेफड़े भर भर धुआँ!
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