हाँ रहता है एक पान का ग़ुलाम चिड़िया की तरह अंकों वाले ईंटों से ताश के पत्तों के घरों में,
होते होने देते स्वयं की गिनाई छंटाई बंटाई दुनिया के जुए में लत की तरह।
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