साँसों की तितलियाँ
Saturday, November 15, 2014
नियती
मृग मरीचिका
में
भटके
गर मृग
तो
नियती
उसकी,
कस्तूरी
तो
माँ ने
नाल से
बाँध कर
भेजी थी
सफ़र में|
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