साँसों की तितलियाँ
Tuesday, November 4, 2014
महफ़िल
कब
लिखा
कुछ
मैंने
किसी
महफ़िल
के लिए,
शम्मा
दिखी
जो
कोई
जलती,
पिघलता
रहा।
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment