साँसों की तितलियाँ
Thursday, November 6, 2014
तसल्ली
क्या क्या
न हुआ
ज़ाया
ज़िद की
ज़िद में,
इक
हमीं
न काम आये
बस इतनी
तसल्ली
है|
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment