साँसों की तितलियाँ
Saturday, November 8, 2014
मुख़बरी
बाहर बाहर
पीछे पीछे से
जी कर
गुज़ार दी,
किसी ने
कर दी
जो
मुख़बरी
कि
शहर में
क्या है!
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