Saturday, November 1, 2014

परमेश्वर

किस गाँव किस घर की छत से निकलते धुएँ के गुबार मेरी फूँकी धौंकनी की बदौलत उठेंगे,
किस किस उपले पे होंगे मेरी उंगलियों के निशाँ, किस संयुक्त परिवार की भीड़ की रोटियाँ सेकने में जलेंगे!

किस हतोत्साहित पति की मार के निशान उठाऊँगी पीठ की सलीब पर,
किस सास ससुर ननद की तीखी ज़ंग लगी सोच की सूली पर चढूँगी,

किस देश की राहें बाँचेंगे मेरे कोरे पासपोर्ट के पन्ने,
किस यूनिवर्सिटी के प्रॉस्पेक्टस पर चिपकने को मेरी तस्वीरें रोयेंगी,

कौन शहर तरसेगा मेरे काम के कमाल को,
किस महाद्वीप के आकाश मुझ बिन वो सारे जहाज़ उड़ेंगे,

कौन सी हक़ीक़त लूटेगी मेरी कौन सी क़िस्मत,
मेरे किस भविष्य को मेरा आज निगलेगा,

किस पति परमेश्वर की मैं दुल्हन बनूँगी,
किस शख्स़ को,पापा, मैं बॉय फ्रेंड चुनूँगी!

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