साँसों की तितलियाँ
Sunday, November 9, 2014
काँटे
काँटे
फूलों को
मुबारक,
खाने
दो
मुझे
उँगलियों से
अपनी,
उस
क्यारी की
मिट्टी
बनने में
वक्त है
अभी।
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment