Sunday, November 30, 2014

यकीन

अलग थलग
पड़ा
छिटका
बीज,
बीज ही
न रहेगा,
यकीन था
उसे,

जंगल
बनने से पहले,
गुज़ारता था
शताब्दी,
गिनने
कोख़ के
दरख़्त।

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