साँसों की तितलियाँ
Monday, November 10, 2014
सलाम
जा
लम्हे
तेरा
ख़ुदा
हाफ़िज़,
मेरा
मुस्तकबिल
ग़र
मिले कहीं
तो
सलाम
कहना।
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