साँसों की तितलियाँ
Sunday, November 2, 2014
पोटली
मसरूफ़ हूँ
और
कुछ
मजबूर
अभी,
आना है
मुश्किल,
भेज दो
मुझ ही तक
दुनिया
बाँध
पोटली में
किताबों की।
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