साँसों की तितलियाँ
Tuesday, November 18, 2014
काश!
मौला,
काश !
हों
ज़मीं पर
ख़ुदा
कुछ
कमतर,
हों
तेरी
दुनिया में
तआवुन के
इमकानात
और बेहतर।
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