साँसों की तितलियाँ
Friday, April 1, 2016
लंगर
हुण कौण
लावे लंगर
शामशानां च,
जगा छकावे,
मोयाँ नूँ
बिठावे इको पंगत,
केड़ी अग्गे साड़े
पछाण मिटावे!
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