चुल्लेयाँ 'चों उठदा धूआँ अड्डी चुक्क चुक्क भेजदा ए संदेसा स्वर्गां नूँ,
कि पहुँच रही ए रिज्जक, ज्यूँदियाँ नें पकाओंण वालियाँ, खाओन्दे नें परिवार बैठ वेड़ेयाँ 'च आस पास, अजे वसदे नें पिंड।
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