साँसों की तितलियाँ
Saturday, April 23, 2016
बूँद
लम्हों से भारी
ज़िन्दगी
तू उठाएगा कैसे,
उठाये भी क्यूँ,
हर बूँद में है
सागर सारा,
पी इत्मिनान से यूँ।
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