कड़कती धूप में
पर्यटक थे कम
सो सारे दिन में
चार जमात पढ़े
भिखारी को मिले
एक दो कर के
बस बीस ही रूपये।
दिल किया उसका
कि भोजन के बजाये
आज जूस पीये,
दुकानदार से पूछी
जो पाउच की कीमत
तो कहा उसने -
बीस रूपये मात्र,
लौट गया भिखारी
खाने भोजन ही
सुन
अपने सर्वत्र को
मात्र।
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