Friday, April 29, 2016

आलू

काश होते
हाथों में मेरे
सुबह सुबह
उबले आलुओं की जगह
ग्लव्ज़,
तन पर
मैली बनियान की जगह
टी शर्ट,
पैरों में
घिसी चप्पल की जगह
स्पोर्ट्स शूज़,
तो क्यों न मैं भी
उस बच्चे की तरह
लगाता
हर रोज़
पूरे शहर का चक्कर
रेसिंग साइकिल पर
करने प्रैक्टिस,
पहने
चेहरे पर
वही
बढ़ते बच्चों का
कॉन्फिडेंस,

काश
ढाबा मालिक की जगह
मेरे भी
माँ बाप होते।

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