हैं हर तरफ़ रास्ते ही रास्ते फिर क्यों या रब! चौराहे सा है दिल?
समन्दर में चहूँ ओर हज़ारों लहरों के ईशारे, एक ही जगह भटकती ख़ाली नाव सा है दिल।
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