Friday, October 30, 2015

दस कोस

दस कोस लम्बा है पानी
मटके में
जो लाई हूँ मैं
बड़ी दूर से,

जिव्हा की हथेलियों से
नापना इसे,
पलकों की अंजुलियों से
पीना।

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