Sunday, October 18, 2015

ख़बरें

जिस तरह
अख़बार में
नज़रों ने
ख़बरें
चुन चुन कर
रुक रुक कर
पढ़ीं,

ज़हन नें
बनाईं
वैसी खबरें
ज़िन्दगी के सफ़ों पर
सोच के मुताबिक़।

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