साँसों की तितलियाँ
Tuesday, October 20, 2015
जूते
ज्यों
मरे मवेशियों
की खालों से
जूते बनें,
हाय
क्यों
दुःखद समाचारों
को पढ़
कविताओं के
ख़ाके बनें!
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