कभी बताना ज़रूर माँ कि किसकी दुआ तुम्हें हरगिज़ नामंज़ूर है,
तुम्हारे नाम की शय का, तौबा, किस किस ख़ुदमुख़्तार को ग़ुरूर है!
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